"क्या लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ प्रिंट मीडिया,टी.वी.चैनल्स,सोशल मीडिया को सरकार से इन सुलगते सवालों बहस कराने की जिम्मेदारी है"

क्या हमारी सरकार हिन्दू मुस्लिम मुद्दों को बनाए रखना चाहती है?क्या दाऊद इब्राहीम को हमारी सरकार भूल गई है?क्या तबलीगी जमात के मौलाना साद को 28मार्च को माननीय श्री अजीत डोभाल जी सुरक्षा सलाहकार की मुलाकात  के बाद भागने का मौका दिया गया है? क्या मौलाना साद को पकड़ना मुश्किल है या जान बूझकर पकड़ा नहीं जा रहा है?क्या मौलाना साद और सांसद माननीय असदुद्दीन ओवैसी जी भारतीय जनता पार्टी के लिए मुद्दे गर्म रखने हेतु कार्य करते हैं?क्या लाक डाउन के बाद मजदूरों गरीबों की दुर्दशा और मौतों को टी.वी.चैनल्स और मीडिया खबरीलाल जानबूझकर नहीं दिखा रहे हैं?क्या नीरव मोदी, ललित मोदी, मेहुल चौकसी,विजय माल्या, सहित लगभग पचास डिफाल्टर जो कि बैंकों को चूना लगा कर भाग चुके हैं का कर्ज सरकार ने माफ़ कर दिया है ?क्या विदेशों में स्थापित हो चुके इन भगोड़ों को सरकार भूल चुकी है? और भी तमाम प्रश्न हैं जिनके जवाब सरकार को सार्वजनिक रूप से जनता को देना चाहिए। हमारे  लोकतांत्रिक व्यवस्था में चौथे स्तम्भ प्रिंट मीडिया, एवं सोशल मीडिया, टी.वी.चैनल्स को इन मुद्दों,इन सवालों पर बहस करना चाहिए ताकि सच्चाई  जनता के सामने लाई जा सके।----"पत्थर फ़र्रूख़ाबादी"