आनेवाला समय बहुत चुनौती पूर्ण होगा , हो सकता है सरकार की सारी व्यवस्थाएं धरी की धरी रह जाएं, हमारे सत्ता पक्ष के लोगों को उनके भक्त, चमचों, और संगठन से जुड़े पदाधिकारियों को हमारी बात कड़वी लगे हम अफवाह नहीं फैलाते परिस्थितियों का विश्लेषण करते हैं। हमने कहा था कि हमारे यहां पचास हजार से ज्यादा कोरोनावायरस से संक्रमित हैं अब यह आंकड़ा सितंबर तक कई लाख में होगा। इधर बिना नीति बनाए लाकडाउन कर दिया ,ताली थाली बजाकर खुशी जाहिर कर ली, बत्ती गुल करके, मोमबत्तियां जलाकर ,कोरोनावायरस को डराया पर ये तो "रीछ के पांव पकड़ लिए"वाली कहावत चरितार्थ हुई। मजदूरों गरीबों की हिम्मत टूट गई, या यूं कहें मजदूरों गरीबों को लगने लगा कि भूख से तड़प कर दम तोड़ने से अच्छा है ,संघर्ष करें, लाठी खाकर ही मरें, मरना तो है ही। सरकार ने, शासन ने रोका, तो खेत ,मेड़, पगडंडी, रेल की पटरियों पर चल दिए । कम से कम एक करोड़ से ज्यादा मजदूर पैदल या विभिन्न साधनों से रास्ते तय कर रहे हैं। हजारों मजदूर रास्ते में ही दम तोड़ चुके हैं ।मीडिया नहीं दिखाएगी। अखबार टी.वी.चैनल्स, क्यों दिखाएं? क्या मिलेगा? सरकार से करोड़ों रुपए के विज्ञापन मिलना बंद हो जाएंगे। यदि मजदूरों गरीबों ने क्रांति का मार्ग अपनाया तो सरकार की स्थिति बदतर हो जाएगी तब स्थिति भयावह होगी। कोई मानने को तैयार ही नहीं है कि सरकार ने बिना नीति बनाए फैसला लिया, फैसला लेने में देरी की आप उत्तर कोरिया, रूस आदि देशों से तुलना नहीं करते जहां कोरोनावायरस नियंत्रण में है। हमारे यहां "नमस्ते ट्रंप"और मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिराना ,भाजपा सरकार बनाना, ये मुख्य कारण हैं कोरोनावायरस की चैन बढ़ना।जब तीस जनवरी को W.H.Oने चेतावनी जारी कर दी तो एक महीने में सर्व दलीय बैठक बुलाकर विशेषज्ञों की बैठकों का आयोजन कर सभी आने वाली समस्याओं को ध्यान में रखते हुए फरवरी के अंत तक लाकडाउन कर देते तो आज स्थिति नियंत्रण में आ जाती ।अब मजदूरों और गरीबों पर सरकार शासन प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।ये बड़ी चुनौती है। सरकार चंदा वसूली की जगह अपने वादों पर अमल करके दाऊद इब्राहिम, नीरव मोदी, माल्या, चौकसी, और नेताओं के विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने का प्रयास करे। कुछ मंदिरों मस्जिदों और मठों में अकूत संपत्ति रुपए ,सोना, हीरे-जवाहरात आदि भरे पड़े हैं उनसे मदद लेने की योजना तैयार करे। कर्मचारियों से वसूली न करें, उनके डी.ए. , एरियर्स आदि न रोकें। ये मध्यम वर्गीय परिवार हैं आप अब लाइए भगौड़ों को वापस जो बैंकों को चूना लगा कर विदेशों में व्यापार जमा चुके हैं।अब लाइए काला धन वापस। अब खजाना खोलिए मंदिरों का मस्जिदों का ये धर्म के ठेकेदार कब काम आएंगे।--"पत्थर फ़र्रूख़ाबादी"
"हम पर रहम कीजिए सरकार, हम गरीब हैं ,मजदूर हैं, मध्यम वर्गीय किसान या कर्मचारी हैं,काला धन, भगौड़ों को वापस लाइए"