"जाकी रही भावना जैसी।
प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।।"
मित्रो आज हम एक परम विद्वान , भक्त शिरोमणि, पंडित जी जो कि पेशे से वकील भी हैं,से मिले। उनसे जो ज्ञान मिला उसे आप सभी गुणीजन तक पहुंचा रहा हूं
"जांचहु परखउ जांचन जोगू।
अवसि वांचिए वांचन जोगू।।"
अच्छा एक बात अपनी बता दूं अगर कोई विद्वान वास्तव में कुतर्क नहीं करता तथा मेरी बात पर क्रोध नहीं करता है,तो मैं निर्मल मन से ऐसे महापुरुष से ज्ञान प्राप्त कर परम सुख की अनुभूति करता हूं। मैं पूछा पंडित जी आपने रामायण सीरियल देखा, रामचरितमानस का अध्ययन किया,आप राम भक्त हैं, राम कथा के जानकार हैं ,मेरी यह जानने की प्रबल इच्छा है कि,सम्पूर्ण रामायण में किस पात्र का चरित्र सबसे अच्छा है। कौनभगवान या ईश्वर के रूप में पूजित होने योग्य है? द्वितीय शनिवार होने से पंडित जी के पास समय था, और मैं तो ठहरा इस जगत का नकारा अधम जीव ।हमारे पास तो समय ही समय है।सो पंडित जी बोले, "समय है कथा विस्तृत है "मैंने कहा," जी इस समय कोरोना भइया की मेहरबानी से हम तो बेकार बैठे हैं"। पंडित जी बोले, देखो बचपन में ही राम ने हिरण जैसे जीवों के शिकार किए,क्षत्रिय होकर ताड़का नामक महिला का वध किया। जबकि कहा गया है कि रघुकुल वाले नारी पर अत्याचार नहीं करते, शिव जिन्हें हम ईश्वर मान कर पूजा करते हैं, उनका धनुष तोड़ दिया, शादी,करिवे की जल्दी हती। वनवास राम को मिला सेवक बना कर लक्ष्मण और सीता जी को संग लै गए। चलो माना सीताजी पत्नी थीं तो उन्हें ले जाते इतै उर्मिला के मन से पूछौ, चौदह साल लक्ष्मण के विरह में जलीं। लालच देखौ, सोने के हिरना के पीछे पड़ गए सीता हरण हो गयो। छुपके से बाली को मार दिया जे कौनौ क्षत्रियत्व का गुण है। स्वार्थ पूर्ति हेतु सुग्रीव से मित्रता करी। हां हनुमान जी समुद्र लांघ गए जे महान कार्य हुआ। हनुमान जी ने सीता जी की खोज करी लंका जराय आए,अब आगे देखौ,जब राम लक्ष्मण नागपाश में बंधे ,हनुमान जी गरुण को लेकर आए नागपाश ते छुड़ाए। फिर लक्ष्मण को शक्ति लगी तब सुषेण वैद्य को लेकर आए संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण के प्राण बचाए।राम ने क्या किया? रावण जैसे ब्राह्मण की हत्या कर दी। सीता जी की अग्निपरीक्षा लेकर नारी पर अत्याचार किया। और तो और गर्भावस्था में सीता जी को घर से निकाल दिया, वन में मरने के लिए छोड़ दिया ,जघन्यतम अपराध की श्रेणी में आता है। बाल्मीकि जी को स्वयं आकर सीता जी की पवित्रता के साक्ष्य देना पड़े तो भी नहीं माने और सीता जी को मरना पड़ा। राजपूत जी भगवान राम आज हमारे बीच होते तो मैं उन पर मर्डर, महिला शोषण के जघन्यतम अपराध का मामला दर्ज करवाकर उन्हें कठोर से कठोर सजा दिलवाता। हां मुझे श्री हनुमानजी का चरित्र ही ऐसा लगा कि ईश्वर के जैसे अलौकिक काम किए हैं । फिर भी कर्ता होने का अभिमान नहीं है, सम्पूर्ण रामायण सीरियल या रामचरितमानस में केवल वही ऐसे पात्र हैं जिन्हें भगवान या ईश्वर माना जा सकता है राम को मैं नहीं मानता हूं । बाकी आप जिसे माने आपकी मर्ज़ी। ""मित्रो मुझे इतना ही तो सुनना था यही सच्चाई है जो उन्होंने बताई है । इतनी कथा सुनने के बाद मैंने पंडित जी के चरण स्पर्श किए और घर चला आया श्री हनुमानजी के चरित्र का चित्र मन मस्तिष्क में लेकर ।...... जय श्री हनुमानजी जीकी, जय शिव रुद्रावतार!--------"पत्थर फ़र्रूख़ाबादी"