"यहां अमीरों की जान कीमती है गरीब मजदूर तो कीड़े मकोड़े जैसे हैं वाहरे!भारत देश महान"

अब तो यकीन हो गया कि  इस महामारी से अमीर लोग सरकार और शासन प्रशासन के लोग बुरी तरह डर गए हैं माननीय मुख्यमंत्री जी उर्फ टकले बाबा ने अमीर बच्चों को कोटा से लाने के लिए तीन सौ बसें भेज दीं हैं। काहे साहब? मजदूरों गरीबों को  हजारों किलोमीटर तक पैदल चलकर लौटना पड़ रहा है कई तो रास्ते में भूख प्यास से मर गए  हैं।कई अभी भी रास्ते में हैं कई तो फांसी लगाकर जान दे चुके हैं, उत्तर प्रदेश में ही एक मां ने भूख प्यास से तड़प कर दम तोड़ रहे बच्चों को नदी में फेंक दिया बाबा जी आप इतने निर्मम  हो जाएंगे सत्ता मद में चूर होकर गरीबों को तड़पा तड़पा कर मारेंगे, हमने  नहीं सोचा था । आपके लिए अमीरों की जान कीमती है, मजदूरों गरीबों की जान की कोई कीमत नहीं है।वोट मांगने जाते समय इन्हें आप बाप बनाते और बाद में भूल जाते हो ये गरीब असहाय हैं, आपके लिए ये कीड़े मकोड़े जैसे ही हैं तभी तो बेचारे मर रहे हैं काश! कोरोनावायरस जैसी महामारी चुनाव के समय आती भगवान करे ये चुनाव तक ऐसी ही बनी रहे तब आपको इनकी जान की कीमत पता चलेगी।--------"पत्थर फ़र्रूख़ाबादी"