ये अभिशापित मजदूर , मरने को मजबूर, मत मारिए साहेब, ये तो खुद मर जाएंगे इनका अपराध यही है कि घर जा नहीं सकते ,पापी पेट भूख सह नहीं पाता, क्या करें ,एक निवाला पाने के लिए भीड़ की लाइन में लग जाते हैं। यही तो अपराध है माननीय मुख्यमंत्री जी। भूख से तड़प भी बड़ा अपराध बन गया है जिसकी सजा है मौत और ऐसी मौत की सज़ा कि पहले क्रूरता से पिटाई खानी पड़ती है ताकि उसकी इस सजा को देख कर कोई एक रोटी मांगने की जुर्रत ना करे भले ही भूख से मर जाए पर खाना बांट वाली लाइन में खड़े होने की जुर्रत ना करे। खाना वितरण में गड़बड़ी , धांधली भृष्टाचार को देखे मगर आवाज उठाने की जुर्रत ना करे । माननीय मुख्यमंत्री जी तरस खाइए भूख से तड़पते गरीब मजदूर को पीट पीट कर मत मारिए उसे छोड़ दीजिए वह तो खुद व खुद मर जाएगा माननीय मुख्यमंत्री जी रहम कीजिए।-----------"पत्थर फ़र्रूख़ाबादी"
"रहम कीजिए सरकार, भूख से तड़प कर खुद व खुद मर जाएंगे हम"