"नारी शक्ति पर अत्याचार, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार छेड़छाड़ , दरिंदगी के लिए हमारे धार्मिक ग्रंथ , नैतिक शिक्षा जिम्मेदार है"

क्या हमारी नैतिक शिक्षा , धार्मिक शिक्षा, जिम्मेदार है, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार (गैंगरेप), छेड़छाड़, और नारी पर हो रहे अत्याचारों के लिए? मित्रो रामायण में सूपर्णखां की नाक काटना, सीता जी का अपहरण और रावण द्वारा आए दिन धमकाना, महाभारत में, द्रोपदी को भरी सभा में वस्त्र हरण कर नग्न करने का प्रयास, जयद्रथ द्वारा जबरन द्रोपदी को रथ पर डाल कर ले जाना, फिर कीचक द्वारा द्रोपदी को भरी सभा में अपमानित कर यह सिद्ध करना कि उसे कोई नहीं बचा सकता, इंद्र द्वारा अहिल्या का सतीत्व भंग करना, या विष्णु का वृन्दा का सतीत्व भंग, ऋषि पाराशर द्वारा मल्लाह पुत्री सत्यवती का बीच नदी में ले जाकर नाव पर ही बलात्कार करना और कुंआरेपन में व्यास की पैदाइश होना , कुंती पुत्रों के पिता अलग-अलग होना, परशुराम की माता का गंधर्व राज के साथ जलक्रीड़ा करना जिससे क्रुद्ध होकर जमदग्नि द्वारा परशुराम को मां का वध करने की आज्ञा देना और परशुराम द्वारा माता रेणुका का वध करना, मंदोदरी, तारा,पांचाली, अहिल्या न जाने कितनी कथाएं हमारे धर्म ग्रंथों पुराणों में मिलती हैं । यही नहीं उनका धारावाहिक , नाटकों, और फ़िल्मो, द्वारा घर घर तक दिखाया जाना हमारी संतानों की शिक्षा में शामिल हो चुका है। ऐसी नैतिक शिक्षा जिसमें नैतिक पतन हो, नारी शक्ति पर अत्याचार हो  हमारी शिक्षा प्रणाली में , हमारी संस्कृति में, हमारे आचरण का हिस्सा बन गई है। हमारी संतानों को उसके दुष्परिणाम दिखाई नहीं देते , ऐसे धारावाहिक ,नाटक, फिल्म,या धार्मिक पुस्तकें उनमें कामुक उत्तेजना जगाती हैं उन्हें मानसिक रूप से भयंकर रोगी बना देती हैं और ये लोग दरिंदगी कर बैठते हैं, जबकि,उन्हें मालूम है कानून व्यवस्था में मौत की सज़ा का प्रावधान किया गया है । फिर भी ऐसी दरिंदगी रुक नहीं रही है।क्या हम नैतिक शिक्षा के रूप धार्मिक ज्ञान परोस कर मानव समाज में मानसिक रोगी (विक्षिप्त) पैदा नहीं कर रहे हैं? क्या ऐसी धार्मिक शिक्षा जरूरी है या किसी विशेष समुदाय के लिए रोजगार देने वाली ये शिक्षा देना मजबूरी है? चिंतन करना होगा,  यदि हमें मानवीय समाज से बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, नारी अत्याचार रोकना है तो हमें ऐसी धार्मिक पुस्तकों से दूर जाना होगा नैतिक शिक्षा ज्ञान विज्ञान आधारित होना चाहिए इसमें सीता हरण, द्रोपदी वस्त्र हरण या चीर हरण की शिक्षा न हो।----------------"पत्थर फ़र्रूख़ाबादी"