"अगर हिम्मत है तो अमेरिका चीन से दो दो हाथ करके देख ले"

हमारी आशंका निर्मूल या निराधार नहीं है कि कोरोनावायरस चीन के बुहान शहर में स्थापित वायरोलॉजी प्रयोगशाला में चीनी वैज्ञानिकों द्वारा  चमगादड़ों से संग्रहित कर संवर्धित किया गया है फिर बुहान के नागरिकों पर परीक्षण किया गया कि यह इंसान के लिए कितना घातक है इसके बाद तमाम उन देशों में फैलाया गया जो अमेरिका  से मैत्री पूर्ण सम्बन्ध रखते हैं जरा सोचिए रूस, उत्तर कोरिया, तथा चीन के अन्य शहरों में कोरोनावायरस नहीं फैला सर्वाधिक उन देशों में फैला जिनका भारत से अच्छा व्यवहार है। हम अमेरिका को महाशक्ति मानते हैं, जापान बहुत छोटा देश है पर अमेरिका से दूरी बनाए हुए है कारण जापान के दो बड़े शहरों को अमेरिका एटमी हथियारों से तहस नहस कर चुका है ।क्या अमेरिका चीन पर हमला करके उसे सबक सिखाएगा ?कभी नहीं , चीन पर हमला करने से पहले उसे रूस और उत्तर कोरिया से जूझना पड़ेगा। कहीं लगातार  भारत और अमेरिका की बढ़ती दोस्ती ही तो कारण नहीं है कोरोनावायरस नामक जैविक बम का प्रयोग? कहीं चीन ,रूस और उत्तर कोरिया की कूटनीति का हिस्सा तो नहीं है कोरोनावायरस नामक जैविक बम का इस्तेमाल? देखिए हमारे मित्र देश अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली जर्मनी, स्पेन, ईरान, आदि कोरोनावायरस की गंभीरता से जूझ रहे हैं और घुटनों पर आ गए हैं । चीन को सबक सिखाने की सोचें या फिर अपने देश को इस महामारी से बचाएं, इस्लामिक देशों के कट्टर सोच वाले कम पढ़े लिखे मुस्लिम लोग आत्मघाती कदम उठाने को तैयार किए जा रहे हैं। हमारे देश में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों अपने अपने हितों के लिए  विगत कुछ वर्षों से हिन्दू मुस्लिम की  राजनीति कर रहे हैं , इसका भी ग़लत संदेश इस्लामी देशों में जा रहा है जो उन्हें और कट्टर तथा आत्मघाती बना रहा है।यह चिंतन भी आवश्यक है कि हमें चीन से कूटनीतिक संबंध बनाना चाहिए जैसे रूस और उत्तर कोरिया के चीन के साथ हैं।आज अमेरिका, ब्रिटेन, इटली,जर्मनी,स्पेन,फ्रांस, ईरान , भारत सहित दुनिया भर के कई देश आर्थिक रूप से कमजोर हो गए हैं वैश्विक महामारी से इन देशों जनहानि सहित भयंकर आर्थिक क्षति हुई है और अभी भी जारी है। क्या ऐसी स्थिति में कोई देश चीन से दो दो हाथ कर सकेगा ।


                  -------------"पत्थर फ़र्रूख़ाबादी"