देश में मंदी

अगर सोच तुम्हारी यूं, गन्दी न होती",


मिरे देश भारत में यूं मंदी न होती",


सरकारी खजाना लुटाया न होता,"


तो बहुमत तुम्हारा आया न होता,"


भृष्ट अफसरों की जुगलबंदी न होती",.....अगर सोच तुम्हारी यूं गन्दी न होती


कवि---"पत्थर फ़र्रूख़ाबादी"